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MYSTICAL | ENERGIZED | SACRED

चन्द्र यंत्र

चन्द्र यंत्र

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चन्द्र यंत्र: मन, भावनाएं और शांति का प्रतीक - 

चन्द्र यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय आरेख है जो ज्योतिष में चंद्रमा (चंद्र देव) का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा को मन, भावनाओं, कल्पना, संवेदनशीलता, मातृत्व, और यात्रा का कारक माना जाता है। इसलिए, चन्द्र यंत्र की पूजा व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यंत्र नकारात्मक चंद्र प्रभावों को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक होता है।

चन्द्रमा का ज्योतिषीय महत्व :

ज्योतिष में चंद्रमा एक महत्वपूर्ण ग्रह है। यह हमारी भावनाओं, स्वभाव और आंतरिक शांति को गहराई से प्रभावित करता है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति हमारी मानसिक शक्ति, अनुकूलन क्षमता और जीवन में आने वाली परिस्थितियों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को दर्शाती है। कमजोर या पीड़ित चंद्रमा व्यक्ति को भावनात्मक अस्थिरता, चिंता, अवसाद, अनिद्रा और निर्णय लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं से ग्रस्त कर सकता है।

चन्द्र यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :

चन्द्र यंत्र की संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो चंद्रमा की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। आमतौर पर, यह यंत्र चांदी की प्लेट पर उकेरा जाता है, क्योंकि चांदी को चंद्रमा की धातु माना जाता है और यह उसकी शीतलता और शुद्धता का प्रतीक है। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:

  • बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और चंद्रमा की केंद्रीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह एकाग्रता और स्थिरता का प्रतीक है।
  • वृत्त (Circle): बिंदु के चारों ओर बने वृत्त ब्रह्मांड और ऊर्जा के विस्तार को दर्शाते हैं। यह चंद्रमा की गति और उसकी कलाओं (घटते और बढ़ते चरण) का भी प्रतीक हो सकता है।
  • त्रिकोण (Triangle): कुछ चन्द्र यंत्रों में त्रिकोण भी बने होते हैं, जो ऊर्जा के प्रवाह और संतुलन को दर्शाते हैं।
  • कमल की पंखुड़ियाँ (Lotus Petals): यंत्र के बाहरी भाग में कमल की पंखुड़ियाँ बनी होती हैं, जो पवित्रता, सौंदर्य और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक हैं। चंद्रमा की शांत और पोषण करने वाली प्रकृति को भी यह दर्शाती हैं।
  • बीज मंत्र और अंक (Beeja Mantra and Numbers): यंत्र पर विशिष्ट संस्कृत बीज मंत्र ("ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः") और अंक उत्कीर्ण होते हैं। ये मंत्र और अंक चंद्रमा की विशिष्ट ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी शक्ति को यंत्र में बांधते हैं।

चन्द्र यंत्र के अतिरिक्त लाभ :

ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, चन्द्र यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:

  • मानसिक संतुलन और स्थिरता: यह यंत्र मन को शांत करके भावनात्मक उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अत्यधिक संवेदनशील या भावनात्मक रूप से अस्थिर हैं।
  • निर्णय लेने की क्षमता में सुधार: शांत और स्थिर मन होने से व्यक्ति बेहतर और तर्कसंगत निर्णय लेने में सक्षम होता है। चन्द्र यंत्र भ्रम और अनिश्चितता को दूर करने में सहायक होता है।
  • अंतर्ज्ञान और कल्पना शक्ति का विकास: चंद्रमा रचनात्मकता और कल्पना का भी प्रतीक है। इस यंत्र की उपासना से अंतर्ज्ञान और रचनात्मक क्षमताओं का विकास होता है, जो कला, साहित्य और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यात्रा में सफलता: चंद्रमा यात्रा का कारक है। चन्द्र यंत्र की पूजा यात्राओं को सुरक्षित और सफल बनाने में मदद कर सकती है।
  • मातृत्व और पारिवारिक सुख: चंद्रमा माता और परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। यह यंत्र माता के साथ संबंधों को बेहतर बनाने और पारिवारिक जीवन में सुख और सामंजस्य लाने में सहायक होता है। यह महिलाओं के स्वास्थ्य और मातृत्व संबंधी समस्याओं में भी लाभप्रद हो सकता है।
  • आकर्षण और लोकप्रियता में वृद्धि: चंद्रमा सुंदरता और आकर्षण का भी प्रतीक है। इस यंत्र की पूजा व्यक्ति को सौम्य और आकर्षक बनाती है, जिससे सामाजिक जीवन में लोकप्रियता और सम्मान बढ़ता है।
  • जल संबंधी समस्याओं से बचाव: ज्योतिष में चंद्रमा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्र यंत्र की पूजा जल संबंधी समस्याओं या भय से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकती है।

चन्द्र यंत्र की पूजा विधि :

चन्द्र यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:

  1. नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
  3. शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या पवित्र जल छिड़कें।
  4. दीपक और धूप: यंत्र के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप या अगरबत्ती लगाएं। चंद्रमा को शांत और शीतल माना जाता है, इसलिए सुगंधित धूप का उपयोग करना अच्छा होता है।
  5. पुष्प अर्पण: सफेद रंग के फूल (जैसे चमेली, मोगरा, सफेद कमल) यंत्र पर अर्पित करें।
  6. मंत्र जाप: चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ चंद्राय नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
  7. चंद्र चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो चंद्र चालीसा या चंद्र स्तोत्र का पाठ करें। यह चंद्र देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  8. भोग अर्पण: चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए सफेद मिठाई (जैसे बर्फी, खीर), दूध या दही का भोग लगाएं।
  9. प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर चंद्र देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे शांति, स्थिरता और भावनात्मक संतुलन प्रदान करने की प्रार्थना करें।
  10. नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर सोमवार के दिन इसका विशेष महत्व है।

चन्द्र यंत्र की स्थापना विधि :

चन्द्र यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:

  1. शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: चन्द्र यंत्र की स्थापना के लिए सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन चंद्र देव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर चंद्र नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त का चयन करना उत्तम होता है।
  2. स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा चंद्रमा से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष, शयनकक्ष (यदि शांति की आवश्यकता हो), या किसी अन्य शांत और पवित्र स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
  3. शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को भी शुद्ध कर सकते हैं।
  4. यंत्र की स्थापना:
    • एक साफ सफेद या हल्के रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। सफेद रंग चंद्रमा की शुद्धता और शांति का प्रतीक है।
    • यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
    • चंद्र देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
  5. प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।

चन्द्र यंत्र के उपयोग में सावधानियां :

  • यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
  • यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
  • यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
  • अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।

निष्कर्ष :

चन्द्र यंत्र एक शक्तिशाली उपकरण है जो मन, भावनाओं और शांति को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसकी सही स्थापना और नियमित पूजा से व्यक्ति मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, सकारात्मक सामाजिक संबंध और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और उसकी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का एक प्रभावी माध्यम है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यंत्र केवल एक सहायक है, और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास और सकारात्मक दृष्टिकोण भी आवश्यक हैं। किसी भी प्रकार की शंका या विशेष मार्गदर्शन के लिए हमेशा एक योग्य ज्योतिषी से सलाह लें।

यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.

 

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