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गुरु यंत्र
गुरु यंत्र
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गुरु यंत्र :
गुरु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए इसकी स्थापना करनी चाहिए। वैवाहिक जीवन की समस्याओं को सुलझाने के लिए भी इस यंत्र की पूजा से लाभ होता है।
गुरु यंत्र के लाभ :
- इस यंत्र को स्थापित करने से गुरु के शुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है।
- इस यंत्र को धारण करने वाला व्यक्ति निष्ठावान और ईमानदार बनता है।
- इसे स्थापित करने से व्यक्ति में आध्यात्मिक रुचि बढ़ती है।
गुरु (बृहस्पति) का ज्योतिषीय महत्व :
ज्योतिष में गुरु (बृहस्पति) को ज्ञान, बुद्धि, भाग्य, धर्म, न्याय, नैतिकता, संतान, शिक्षा, और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। यह सबसे शुभ ग्रहों में से एक है और जीवन में वृद्धि, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में गुरु की शुभ स्थिति व्यक्ति को ज्ञानी, भाग्यशाली, धार्मिक और सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करती है, जबकि अशुभ स्थिति शिक्षा, विवाह, संतान और भाग्य संबंधी बाधाएं उत्पन्न कर सकती है।
गुरु यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :
गुरु यंत्र आमतौर पर सोने या पीली धातु की प्लेट पर उत्कीर्ण होता है, क्योंकि पीला रंग और सोना बृहस्पति से संबंधित माने जाते हैं। इसकी संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो गुरु की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
- बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और गुरु की केंद्रीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह ज्ञान और विस्तार का प्रतीक है।
- चतुर्भुज (Square): यंत्र में बने चतुर्भुज स्थिरता और संतुलन का प्रतीक हैं।
- अंक (Numbers): यंत्र पर विशिष्ट अंक उत्कीर्ण होते हैं, जो गुरु की ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- बीज मंत्र (Beeja Mantra): यंत्र पर गुरु का बीज मंत्र ("ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः") संस्कृत में लिखा होता है, जो गुरु देव की ऊर्जा को आकर्षित और सक्रिय करने में सहायक होता है।
गुरु यंत्र के अतिरिक्त लाभ :
ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, गुरु यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: यह यंत्र ज्ञान, विवेक और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है। यह छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
- भाग्य और समृद्धि में वृद्धि: गुरु भाग्य और समृद्धि का कारक है। गुरु यंत्र की पूजा से भाग्य प्रबल होता है और जीवन में धन, यश और सफलता प्राप्त होती है।
- वैवाहिक जीवन की समस्याओं का समाधान: यह यंत्र वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने और पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक विकास: गुरु धर्म और आध्यात्मिकता का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस यंत्र की स्थापना से व्यक्ति में आध्यात्मिक रुचि बढ़ती है और वह धार्मिक कार्यों में अधिक संलग्न होता है।
- नैतिकता और सत्यनिष्ठा: इस यंत्र को धारण करने वाला व्यक्ति निष्ठावान, ईमानदार और नैतिक मूल्यों का पालन करने वाला बनता है।
- संतान प्राप्ति में सहायक: गुरु संतान का भी कारक है। जिन लोगों को संतान प्राप्ति में कठिनाई आ रही है, उनके लिए गुरु यंत्र की पूजा लाभकारी मानी जाती है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: गुरु यंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- उच्च शिक्षा में सफलता: यह यंत्र उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
गुरु यंत्र की पूजा विधि :
गुरु यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:
- नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
- शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या पवित्र जल छिड़कें।
- दीपक और धूप: यंत्र के सामने घी का दीपक जलाएं और पीले रंग की सुगंध वाली धूप या अगरबत्ती लगाएं।
- पुष्प अर्पण: पीले रंग के फूल (जैसे गेंदा, चंपा, पीला कमल) यंत्र पर अर्पित करें।
- मंत्र जाप: गुरु देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ गुरुवे नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
- गुरु चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो गुरु चालीसा या गुरु स्तोत्र का पाठ करें। यह गुरु देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
- भोग अर्पण: गुरु देव को पीली वस्तुएं जैसे बेसन के लड्डू, पीली मिठाई या चने की दाल का भोग लगाएं।
- प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर गुरु देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे ज्ञान, बुद्धि, भाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख प्रदान करने की प्रार्थना करें।
- नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर गुरुवार के दिन इसका विशेष महत्व है।
गुरु यंत्र की स्थापना विधि :
गुरु यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:
- शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: गुरु यंत्र की स्थापना के लिए गुरुवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन बृहस्पति देव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर गुरु नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त का चयन करना उत्तम होता है।
- स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा ज्ञान और आध्यात्मिकता से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष, अध्ययन कक्ष या किसी पवित्र स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
- शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को भी शुद्ध कर सकते हैं।
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यंत्र की स्थापना:
- एक साफ पीले रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। पीला रंग गुरु से संबंधित है और ज्ञान, समृद्धि का प्रतीक है।
- यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
- गुरु देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
- प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।
गुरु यंत्र के उपयोग में सावधानियां :
- यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
- यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
- यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
- अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।
निष्कर्ष :
गुरु यंत्र एक अत्यंत शुभ और शक्तिशाली यंत्र है जो ज्ञान, भाग्य, समृद्धि, वैवाहिक सुख और आध्यात्मिक विकास प्रदान करने में सहायक है। यह बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है। छात्रों, विवाहित जोड़ों और आध्यात्मिक उन्नति चाहने वालों के लिए इसकी नियमित पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। हालांकि, इसकी पूजा विधिपूर्वक और सावधानी से करनी चाहिए, और किसी भी संदेह की स्थिति में ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना उचित है।
यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.
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