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MYSTICAL | ENERGIZED | SACRED

शनि यंत्र

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शनि यंत्र :

जो लोग शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें अपने घर में शनि यंत्र की स्थापना जरूर करनी चाहिए।

शनि यंत्र के लाभ :

  • यह कुंडली में शनि देव के कुप्रभाव को कम करता है।
  • शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए आप अपने पास हमेशा शनि यंत्र रखें।
  • इस यंत्र में समाहित शक्ति से समाज में आपकी मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है और लोग आपका सम्मान करने लगते हैं।
  • व्यापार में सफल होना चाहते हैं तो आपको शनि यंत्र की स्थापना अपने ऑफिस में करनी चाहिए।
  • शनि के गोचर के दौरान जिन लोगों के घर या ऑफिस में शनि यंत्र होगा, उन्हें शनि की वजह से कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा।

शनि का ज्योतिषीय महत्व :

ज्योतिष में शनि को न्याय, कर्म, अनुशासन, धैर्य, दृढ़ता, जिम्मेदारी, और आयु का कारक माना जाता है। यह धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और हमारे कर्मों के अनुसार हमें फल देता है। कुंडली में शनि की शुभ स्थिति व्यक्ति को मेहनती, अनुशासित और दीर्घायु बनाती है, जबकि अशुभ स्थिति जीवन में बाधाएं, विलंब, कष्ट और निराशा ला सकती है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान इसके प्रभाव विशेष रूप से महसूस होते हैं।

शनि यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :

शनि यंत्र आमतौर पर पीतल या लोहे या काले रंग की धातु की प्लेट पर उत्कीर्ण होता है, क्योंकि लोहा शनि से संबंधित धातु मानी जाती है। इसकी संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो शनि की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:

  • बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और शनि की केंद्रीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्थिरता और न्याय का प्रतीक है।
  • वर्ग (Square): शनि यंत्र में वर्ग प्रमुखता से बने होते हैं, जो स्थिरता, दृढ़ता और पृथ्वी तत्व का प्रतीक हैं।
  • अंक (Numbers): यंत्र पर विशिष्ट अंक उत्कीर्ण होते हैं, जो शनि की ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • बीज मंत्र (Beeja Mantra): यंत्र पर शनि का बीज मंत्र ("ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः") संस्कृत में लिखा होता है, जो शनि देव की ऊर्जा को आकर्षित और सक्रिय करने में सहायक होता है।

शनि यंत्र के अतिरिक्त लाभ :

ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, शनि यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:

  • शनि के अशुभ प्रभावों को कम करना: यह यंत्र शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और कुंडली में अशुभ स्थिति के कारण होने वाले कष्टों को कम करने में सहायक है।
  • मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि: इस यंत्र की पूजा से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है। लोग आपका आदर करते हैं और आपके कार्यों को महत्व देते हैं।
  • व्यापार में सफलता: व्यापार और व्यवसाय में उन्नति और सफलता प्राप्त करने के लिए शनि यंत्र की स्थापना कार्यालय में करना लाभकारी माना जाता है। यह बाधाओं को दूर करता है और विकास के अवसर प्रदान करता है।
  • कष्टों और बाधाओं से मुक्ति: शनि यंत्र जीवन में आने वाली कठिनाइयों, रुकावटों और परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।
  • धैर्य और दृढ़ता में वृद्धि: यह यंत्र व्यक्ति को धैर्यवान, सहनशील और अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ बनाता है।
  • सुरक्षा और बचाव: शनि यंत्र नकारात्मक ऊर्जाओं और दुर्घटनाओं से बचाव करता है।
  • आर्थिक स्थिरता: यह यंत्र आर्थिक स्थिति को स्थिर करने और धन हानि से बचाने में सहायक हो सकता है।
  • कर्मों में सुधार: शनि न्याय के देवता हैं, इसलिए इस यंत्र की पूजा व्यक्ति को अपने कर्मों के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार बनाती है।

शनि यंत्र की पूजा विधि :

शनि यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:

  1. नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  2. यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
  3. शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या काले तिल और सरसों के तेल मिश्रित जल को छिड़कें।
  4. दीपक और धूप: यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काले तिल या लोबान की धूप जलाएं।
  5. पुष्प अर्पण: नीले या काले रंग के फूल (जैसे नीले कमल, काले तिल के फूल) यंत्र पर अर्पित करें।
  6. मंत्र जाप: शनि देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ शनैश्चराय नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
  7. शनि चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें। यह शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  8. भोग अर्पण: शनि देव को काले तिल, उड़द की दाल, या काले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
  9. प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर शनि देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे न्याय, धैर्य, स्थिरता और कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
  10. नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर शनिवार के दिन इसका विशेष महत्व है।

शनि यंत्र की स्थापना विधि :

शनि यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:

  1. शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: शनि यंत्र की स्थापना के लिए शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन शनि देव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर शनि नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त का चयन करना उत्तम होता है।
  2. स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के पश्चिम दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा शनि से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष, कार्यस्थल या किसी शांत स्थान पर स्थापित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
  3. शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप काले तिल और सरसों का तेल मिश्रित जल का उपयोग भी कर सकते हैं। धूप और लोबान जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
  4. यंत्र की स्थापना:
    • एक साफ काले या नीले रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। ये रंग शनि से संबंधित हैं।
    • यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
    • शनि देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
  5. प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।

शनि यंत्र के उपयोग में सावधानियां :

  • यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
  • यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
  • यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
  • अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।
  • शनि देव की पूजा में नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। किसी भी संदेह की स्थिति में योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष :

शनि यंत्र उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक उपकरण है जो शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनके नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा पाना चाहते हैं। इसकी नियमित पूजा से जीवन में स्थिरता, न्याय, मान-सम्मान और व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है। हालांकि, इसकी पूजा विधिपूर्वक और सावधानी से करनी चाहिए, और किसी भी संदेह की स्थिति में ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना उचित है।

यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.

 

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