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श्री यंत्र (Shree Yantra) (ताम्बे में) (3x3 inch)
श्री यंत्र (Shree Yantra) (ताम्बे में) (3x3 inch)
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श्री यंत्र :
प्रतिदिन स्फटिक श्रीयंत्र के दर्शन मात्र से ही इसकी अद्भुत शक्तियों का लाभ मिलना शुरू हो जाता है, ऐसा पौराणिक शास्त्रों में उल्लेख है। अत: मनुष्य को चाहिए कि वे हर रोज स्फटिक श्रीयंत्र के दर्शन और पूजन का लाभ अवश्य लें। इतना ही नहीं नियमित मां महालक्ष्मी के मंत्र जाप करने अथवा शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी और स्फटिक श्रीयंत्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को अद्भुत शक्तियां और अपार धन देती है।
श्री यंत्र के लाभ :
- श्रीयंत्र को मंदिर या तिजोरी में रखकर प्रतिदिन पूजा करें।
- इस यंत्र की पूजा से मनुष्य को धन, समृद्घि, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है।
- रुके कार्य बनने लगते हैं। व्यापार की रुकावट खत्म होती है।
- जन्मकुंडली में मौजूद विभिन्न कुयोग स्फटिक श्रीयंत्र की नियमित पूजा से दूर हो जाते हैं।
- इसकी कृपा से मनुष्य को अष्टसिद्घियां और नौ निधियों की प्राप्ति होती है।
- श्री यन्त्र संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा विकास का प्रतीक माना जाता है। और इसी के साथ यह मानव शरीर का भी द्योतक है।
- श्री यन्त्र बहुत ही प्राचीन तथा शुभता का कारक माना जाता है।
- श्री यन्त्र की अधिष्टात्री देवी स्वयं माँ श्रीविद्या अर्थात माँ त्रिपुर सुन्दरी हैं उन्हीं के रूप में इस यन्त्र पूजा जाता है।
श्री यंत्र स्थापना विधि :
शुक्रवार को श्रीयंत्र की स्थापना करने के लिए सबसे पहले प्रातकाल स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनकर और श्रीयंत्र को लाल कपड़े में स्थापित करें और गंगाजल या कच्चे दूध से स्नान कराएं। तत्पश्चात श्री यंत्र में लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत चढ़ाएं। श्री यंत्र के बीज मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:” या “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:” मंत्र का जाप करें। श्री यंत्र से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करें। तत्पश्चात, श्री यंत्र को स्थापित करने के बाद इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो।
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