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MYSTICAL | ENERGIZED | SACRED

शुक्र यंत्र (Shukra Yantra)

शुक्र यंत्र (Shukra Yantra)

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शुक्र यंत्र :

  • यह शुक्र ग्रह का यंत्र है, जिसे शुभ ग्रह माना जाता है।
  • ग्रह मंडल में शुक्र को मंत्री पद प्राप्त है।
  • यह वृष और तुला राशियों का स्वामी है।
  • यह मीन राशि में उच्च का और कन्या राशि में नीच का माना जाता है।
  • तुला 20 अंश तक इसकी मूल त्रिकोण राशि है।
  • शुक्र अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभकारक कहा गया है।
  • जन्म कुंडली में शुक्र सप्तम भाव का कारक होता है।
  • ग्रहों में शुक्र को विवाह और वाहन का कारक ग्रह कहा गया है।

शुक्र यंत्र के लाभ :

  • शुक्र के उपाय करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति की संभावनाएं बनती हैं।
  • वाहन से जुड़े मामलों में भी यह उपाय लाभकारी रहते हैं, खासकर वाहन दुर्घटना से बचने के लिए।
  • शुक्र यंत्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है।

आइए, अब इस विषय पर और विस्तार से चर्चा करते हैं:

शुक्र का ज्योतिषीय महत्व :

ज्योतिष में शुक्र को प्रेम, सौंदर्य, कला, संगीत, रोमांस, विलासिता, आकर्षण, धन, ऐश्वर्य और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है। यह हमारे जीवन में आनंद, रचनात्मकता और भौतिक सुखों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति व्यक्ति को आकर्षक, कलात्मक, धनवान और सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करती है, जबकि अशुभ स्थिति प्रेम संबंधों में समस्याएं, आर्थिक परेशानियां और भौतिक सुखों की कमी का कारण बन सकती है।

शुक्र यंत्र का स्वरूप और प्रतीकात्मकता :

शुक्र यंत्र आमतौर पर चांदी की प्लेट पर उत्कीर्ण होता है, क्योंकि चांदी को शुक्र से संबंधित धातु माना जाता है। इसकी संरचना में विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियाँ और अंक होते हैं जो शुक्र की ऊर्जा को केंद्रित करते हैं। यंत्र के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:

  • बिंदु (Dot): यंत्र के केंद्र में स्थित बिंदु ब्रह्मांडीय ऊर्जा और शुक्र की केंद्रीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह आकर्षण और आनंद का प्रतीक है।
  • पंचकोण (Pentagon): शुक्र यंत्र में पंचकोण प्रमुखता से बने होते हैं, जो सौंदर्य, कला और रचनात्मकता का प्रतीक हैं।
  • अंक (Numbers): यंत्र पर विशिष्ट अंक उत्कीर्ण होते हैं, जो शुक्र की ऊर्जा आवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • बीज मंत्र (Beeja Mantra): यंत्र पर शुक्र का बीज मंत्र ("ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः") संस्कृत में लिखा होता है, जो शुक्र देव की ऊर्जा को आकर्षित और सक्रिय करने में सहायक होता है।

शुक्र यंत्र के अतिरिक्त लाभ :

ऊपर बताए गए लाभों के अतिरिक्त, शुक्र यंत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं:

  • वैवाहिक सुख और प्रेम संबंधों में सुधार: यह यंत्र वैवाहिक जीवन में मधुरता, प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है। यह प्रेम संबंधों में आ रही बाधाओं को दूर करने में भी सहायक है।
  • धन और समृद्धि की प्राप्ति: शुक्र धन, विलासिता और भौतिक सुखों का कारक है। इस यंत्र की पूजा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन की प्राप्ति के नए अवसर मिलते हैं।
  • आकर्षण और सौंदर्य में वृद्धि: यह यंत्र व्यक्ति को आकर्षक और सुंदर बनाता है, जिससे सामाजिक जीवन में लोकप्रियता बढ़ती है।
  • कला और रचनात्मकता में विकास: शुक्र कला, संगीत और रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। इस यंत्र की उपासना से इन क्षेत्रों में रुचि और क्षमता बढ़ती है।
  • वाहन और यात्रा में सुरक्षा: जैसा कि उल्लेख किया गया है, शुक्र वाहन का कारक है। शुक्र यंत्र की पूजा वाहन दुर्घटनाओं से बचाव और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में सहायक हो सकती है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: शुक्र यंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे शारीरिक आकर्षण और मानसिक शांति मिलती है। यह प्रजनन संबंधी समस्याओं में भी लाभप्रद माना जाता है।
  • विलासिता और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति: इस यंत्र की पूजा से जीवन में विलासिता और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

शुक्र यंत्र की पूजा विधि :

शुक्र यंत्र की नियमित पूजा इसके लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है:

  1. नित्य कर्म: प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ सफेद या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।
  2. यंत्र के सामने बैठें: शांत मन से यंत्र के सामने आरामदायक आसन में बैठें।
  3. शुद्धिकरण: यंत्र पर गंगाजल या पवित्र जल छिड़कें।
  4. दीपक और धूप: यंत्र के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप या अगरबत्ती लगाएं (जैसे चंदन, गुलाब)।
  5. पुष्प अर्पण: सफेद या गुलाबी रंग के फूल (जैसे गुलाब, चमेली, लिली) यंत्र पर अर्पित करें।
  6. मंत्र जाप: शुक्र देव के मंत्रों का जाप करें। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है: "ॐ शुक्राय नमः"। आप दिए गए बीज मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः" का भी जाप कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार 108 बार या अधिक जाप करें।
  7. शुक्र चालीसा या स्तोत्र का पाठ: यदि संभव हो, तो शुक्र चालीसा या शुक्र स्तोत्र का पाठ करें। यह शुक्र देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
  8. भोग अर्पण: शुक्र देव को सफेद मिठाई, चावल या इत्र अर्पित करें।
  9. प्रार्थना: अंत में, हाथ जोड़कर शुक्र देव से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे प्रेम, सौंदर्य, धन, ऐश्वर्य और वैवाहिक सुख प्रदान करने की प्रार्थना करें।
  10. नियमितता: इस पूजा को नियमित रूप से करें, खासकर शुक्रवार के दिन इसका विशेष महत्व है।

शुक्र यंत्र की स्थापना विधि :

शुक्र यंत्र को स्थापित करने के लिए सही विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकें:

  1. शुभ दिन और मुहूर्त का चयन: शुक्र यंत्र की स्थापना के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन शुक्र देव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर शुक्र नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त का चयन करना उत्तम होता है।
  2. स्थान का चुनाव: यंत्र को घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा शुक्र से संबंधित है। आप इसे अपने पूजा कक्ष, शयनकक्ष (यदि प्रेम और सामंजस्य की आवश्यकता हो) या किसी ऐसे स्थान पर स्थापित कर सकते हैं जहाँ आप सौंदर्य और कला से संबंधित वस्तुओं को रखते हैं। सुनिश्चित करें कि यंत्र आसानी से दिखाई दे और उसकी नियमित पूजा संभव हो।
  3. शुद्धिकरण: स्थापना से पहले यंत्र और उस स्थान को गंगाजल या किसी अन्य पवित्र जल से शुद्ध करें। आप सुगंधित धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को भी शुद्ध कर सकते हैं।
  4. यंत्र की स्थापना:
    • एक साफ सफेद या गुलाबी रंग का कपड़ा लें और उसे स्थापना के स्थान पर बिछाएं। ये रंग शुक्र से संबंधित हैं और प्रेम, सौंदर्य का प्रतीक हैं।
    • यंत्र को कपड़े के ऊपर स्थापित करें।
    • शुक्र देव का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे इस यंत्र में अपनी सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करें और आपको लाभ प्रदान करें।
  5. प्राण प्रतिष्ठा (वैकल्पिक): यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं। प्राण प्रतिष्ठा एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से यंत्र में देवता की ऊर्जा को आह्वानित किया जाता है, जिससे यह और भी शक्तिशाली बन जाता है।

शुक्र यंत्र के उपयोग में सावधानियां :

  • यंत्र की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। इसे हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यंत्र को छूने से बचना चाहिए।
  • यदि यंत्र किसी कारण से खंडित हो जाए, तो उसे तुरंत बदल दें। खंडित यंत्र की पूजा फलदायी नहीं मानी जाती।
  • यंत्र पर किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु न रखें।
  • अपनी श्रद्धा और विश्वास को बनाए रखें। यंत्र की शक्ति आपके विश्वास और समर्पण पर भी निर्भर करती है।

निष्कर्ष :

शुक्र यंत्र एक अत्यंत लाभकारी यंत्र है जो प्रेम, सौंदर्य, धन, विलासिता और वैवाहिक सुख प्रदान करने में सहायक है। यह शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और जीवन में आनंद और समृद्धि लाता है। विवाहित जोड़ों, कलाकारों और भौतिक सुखों की कामना करने वालों के लिए इसकी नियमित पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। हालांकि, इसकी पूजा विधिपूर्वक और सावधानी से करनी चाहिए, और किसी भी संदेह की स्थिति में ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेना उचित है।

यंत्र मेटल का बना हुआ है. यंत्र की साइज़ 3 इंच x 3 इंच है.

 

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